
बहुत ख़ाली मिली भरपूर होकर
लगी जीने जो तुम से दूर होकर
ख़ताओं इन्तेज़ारी ख़त्म कर लो
सजाएं आ गईं मंज़ूर होकर
छुआ जिस पल मुझे तुमने, तभी से
मैं देखूँ आईना मग़रूर होकर
तुम्हारी क़ुर्बतें तुमको मुबारक
बहुत खुश हूं मैं तुमसे दूर होकर
मिली उनसे नहीं "हां" में गवाही
मैं "ना" कहती रही मजबूर होकर
तुम्हारे लब पे हैं ग़ैरों के चर्चे
हमें हासिल यही मशहूर होकर
दिया कब वक़्त उनको मौत ने जो
जिए मसरूफियत में चूर होकर
© मनीषा शुक्ला