12 Nov 2019
'गीत' रक्खा नाम आँसू का!
हर तरफ़, हर आँख क्यों नम है;
गिर गया क्या दाम आँसू का?
चांदनी की चांद से अनबन हुई
या कि रूठा है समंदर ज्वार से
धर्म त्यागा है समर्पण ने अगर
हो गई क्या चूक कुछ अधिकार से
भावनाएँ अब अहिल्या हैं
क्या करेंगे राम आँसू का?
एक ख़ालीपन कलेजे में भरा
रीतता ही जो नहीं संसार से
छीनना जिसने नहीं सीखा यहाँ
पा सका है कब किसी को प्यार से?
पत्थरों के गाँव में घर हो
तब भला क्या काम आँसू का?
पीर ने देकर क़लम हमसे कहा
ओस लिखनी है तुम्हें, अंगार से
किस तरह थे प्राण रक्खे चोट पर
बाँचनी है ये कथा विस्तार से
राम जाने क्यों विधाता ने
'गीत' रक्खा नाम आँसू का!
©मनीषा शुक्ला
Labels:
Hindi,
Hindi Kavita,
Kavita,
Language,
Love,
Lyrical Poetry,
Manisha Shukla,
poetessmanisha,
Poetry,
Poetry (Geet),
Poets,
Sad Poetry,
Writers,
Writing Skills,
गीत
7 Nov 2019
गीत मेरे
गीत मेरे किसी से न कहना कभी
दर्द इतना बढ़ा हिचकियाँ बंध गईं
शब्द में ढल गया जो वही है बहुत
बस उसी से कई सुबकियां बंध गईं
इक रंगोली सजाने नयन द्वार पर
रातभर आंसूओं से है आंगन धुला
इक पहर जुगनुओं को सुलगना पड़ा
तब कहीं एक रश्मि का घूंघट खुला
दिख रहें हैं सभी को चरण राम के
पत्थरों में कई देवियां बंध गईं
जीतने की सहजता सभी से मिली
हारने की कसक अनछुई ही रही
मुस्कुराहट बनी मीत सबकी यहां
और पीड़ा सदा रह गईं अनकही
मौन के आखरों को लिए गर्भ में
उँगलियों में कई चिट्ठियां बंध गईं
नैन मूँदें तुम्हें देखकर हर दफ़ा
भावना ने हमेशा पुकारा तुम्हें
वो सहज तो हमें भी कभी ना हुआ
जो कठिन से हुआ था गंवारा तुम्हें
घर का सौहार्द बच जाए इस चाह में
क्यारियों में कई तुलसियाँ बंध गईं
© मनीषा शुक्ला
Labels:
Hindi,
Hindi Kavita,
Kavita,
Language,
Love,
Lyrical Poetry,
Manisha Shukla,
poetessmanisha,
Poetry,
Poetry (Geet),
Poetry on Love,
Poets,
Sad Poetry,
Writers,
Writing Skills,
गीत
4 Nov 2019
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
श्रद्धा की अनदेखी करके
अपना ही उपहास किया है
ईश्वर होकर लज्जित अपना
पूजन, व्रत, उपवास किया है
आँसू के कच्चे मोती का
आभूषण स्वीकार नहीं है
तो फिर तुमको पूजे जाने
का कोई अधिकार नहीं है
दरपन लेकर द्वार तुम्हारे आई हूँ, कब पहचानोगे ?
प्रेम अगर परखा जाए तो
अग्नि-परीक्षा भी सह लेगा
और किसी तुलसी के मुख से
ख़ुद को, दुनिया से कह लेगा
लेकिन प्रश्न करेगा निश्चित
हर रघुकुल के सिंहासन से
किस धोबी का, कैसा हित था
एक सिया के निर्वासन से?
तन सोना है, मन है लोहा, पीर पराई क्या जानोगे ?
कौन प्रमाण दिया करता है
प्राणों को जीवित होने का?
कैसे भोर छिपाए ज़ेवर
सूरज के पीले सोने का?
रजनीगंधा, देह चुरा ले
सबकुछ फिर भी गन्ध कहेगी
उगता हो या ढलता चंदा
किरण हमेशा किरण रहेगी
रातों से अंधियारा, दिन से धूप भला कैसे छानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
आज अगर ठुकराओगे, कल
आलिंगन से मर जाएगा
और अगर ज़िद पर आया तो
जो कहता है, कर जाएगा
प्यासी धरती पर बरसेगा
तब सावन का सानी होगा
वरना बारिश का हर क़तरा
केवल पानी-पानी होगा
जब माटी का मोल न होगा, किसको जीवन वरदानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
©मनीषा शुक्ला
अपना ही उपहास किया है
ईश्वर होकर लज्जित अपना
पूजन, व्रत, उपवास किया है
आँसू के कच्चे मोती का
आभूषण स्वीकार नहीं है
तो फिर तुमको पूजे जाने
का कोई अधिकार नहीं है
दरपन लेकर द्वार तुम्हारे आई हूँ, कब पहचानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
प्रेम अगर परखा जाए तो
अग्नि-परीक्षा भी सह लेगा
और किसी तुलसी के मुख से
ख़ुद को, दुनिया से कह लेगा
लेकिन प्रश्न करेगा निश्चित
हर रघुकुल के सिंहासन से
किस धोबी का, कैसा हित था
एक सिया के निर्वासन से?
तन सोना है, मन है लोहा, पीर पराई क्या जानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
कौन प्रमाण दिया करता है
प्राणों को जीवित होने का?
कैसे भोर छिपाए ज़ेवर
सूरज के पीले सोने का?
रजनीगंधा, देह चुरा ले
सबकुछ फिर भी गन्ध कहेगी
उगता हो या ढलता चंदा
किरण हमेशा किरण रहेगी
रातों से अंधियारा, दिन से धूप भला कैसे छानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
आज अगर ठुकराओगे, कल
आलिंगन से मर जाएगा
और अगर ज़िद पर आया तो
जो कहता है, कर जाएगा
प्यासी धरती पर बरसेगा
तब सावन का सानी होगा
वरना बारिश का हर क़तरा
केवल पानी-पानी होगा
जब माटी का मोल न होगा, किसको जीवन वरदानोगे ?
ह्रदय चढाऊँ, तब मानोगे?
©मनीषा शुक्ला
Labels:
Hindi,
Hindi Kavita,
Kavita,
Language,
Love,
Lyrical Poetry,
Manisha Shukla,
poetessmanisha,
Poetry,
Poetry (Geet),
Poetry on Love,
Poets,
Romanticism,
Trust in Love,
Writers,
Writing Skills,
गीत
3 Nov 2019
ख़्वाब
हमें आए भला अब नींद कैसे
हमारा ख़्वाब मुमकिन हो रहा है
© मनीषा शुक्ला
हमारा ख़्वाब मुमकिन हो रहा है
© मनीषा शुक्ला
Labels:
Couplets,
Ghazal,
Hindi,
Hindi Kavita,
Kavita,
Language,
Manisha Shukla,
poetessmanisha,
Poetry,
Poets,
Shayari,
Urdu Poetry,
Writers,
Writing Skills,
अशआर
Subscribe to:
Posts (Atom)