22 Mar 2021

तो फिर किस काम का है दिल ?

तुम्हारा ही तुम्हारा है, हमारा नाम का है दिल

फ़िदा रंगीनियों पर है, किसी गुलफ़ाम का है दिल

बला से टूटता है तो किसी दिन टूट ही जाए

अगर तुम पर नहीं आया तो फिर किस काम है दिल

©मनीषा शुक्ला


17 Mar 2021

हमें बदनाम करने में कोई मशहूर हो जाता

हमारी आँख का काजल, किसी का नूर हो जाता

वफ़ा से बेवफ़ाई का यही दस्तूर हो जाता 

किसी के काम आ जाती अगर रुसवाइयाँ अपनी

हमें बदनाम करने में कोई मशहूर हो जाता 

©मनीषा शुक्ला


15 Mar 2021

हमें बदनाम करने में कोई मशहूर हो जाता

हमारी आँख का काजल, किसी का नूर हो जाता
वफ़ा से बेवफ़ाई का यही दस्तूर हो जाता
किसी के काम आ जाती अगर रुसवाइयाँ अपनी
हमें बदनाम करने में कोई मशहूर हो जाता


© मनीषा शुक्ला

9 Mar 2021

किसी के भी नहीं होते

किसी से भी बिछड़कर हम कभी भी क्यों नहीं रोते
घड़ी भर ख़्वाब को भरकर नज़र में क्यों नहीं सोते
अजब उलझी पहेली हैं, अधूरे हैं न पूरे हम
सभी को चाहते हैं पर किसी के भी नहीं होते

©मनीषा शुक्ला

4 Mar 2021

वक़्त देरी कर रहा है

हमें जल्दी नहीं कोई, मग़र हाँ!

हमारा वक़्त देरी कर रहा है

©मनीषा शुक्ला