प्रीत के अनुप्रास का आदर किया
आज जल ने प्यास का आदर किया
नेह का सत्कार जब तुमने किया
उंगलियों ने थाम लीं तब उंगलियां
इक पहर तक थी अकेली नींद, अब
साथ इनके आस, सपने, लोरियां
चैन ने संत्रास का आदर किया
आज जल ने प्यास का आदर किया
हम विकलता के सजीले चित्र थे
और तुम तपलीन विश्वामित्र थे
हम अभागी भूमिजा युग-युग रहीं
तुम सदा श्रीराम थे, सौमित्र थे
धीर ने उच्छवास का आदर किया
आज जल ने प्यास का आदर किया
© मनीषा शुक्ला
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