ढल जाएगा रूप, बदन पर रोएगा सिंगार!
करोगे तब भी मुझसे प्यार?
झुर्री वाला चाँद नहीं जब दरपन को भाएगा
नैनों के बदले नैनों से चश्मा टकराएगा
फिल्मी गीतों की धुन पर जब गाऊँगी चौपाई
ड्रेसिंग टेबल पर रक्खूँगी मरहम और दवाई
स्वेटर बुनने में बीतेगा मेरा हर इतवार!
करोगे तब भी मुझसे प्यार?
जब बालों से झाँकेगा थोड़ा-थोड़ा उजियारा
आँखों की झांईं से हारेगा काजल बेचारा
झीने-झीने सुर में थक कर जब कोयल गाएगी
धरकर हाथ कमर पर कोई नदिया सुस्ताएगी
एल्बम बनकर रह जाएगा सुधियों का संसार!
करोगे तब भी मुझसे प्यार?
गर तुमको, ठग लेगी मुझसे कोई उमर गुजरिया
फिर तो इश्क़-मुहब्बत, कच्चा सौदा है सांवरिया
सोच-समझ लो, फिर मत कहना, कर बैठे नादानी
सपनों की खेती में लगता है आँखों का पानी
क्या मुट्ठी में रख पाओगे, लम्हों की रफ्तार?
जताना तब ही मुझसे प्यार!
©मनीषा शुक्ला
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