नहीं चलती खिलौनों की कभी तक़दीर के आगे
जुड़े हैं आसमानों में कहीं पर प्रीत के धागे
यही है बेबसी सबकी, यही सबकी कहानी है
किसी की आंख का सपना, किसी की आंख में जागे
©मनीषा शुक्ला
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