23 Feb 2024

चिढ़ाती दफ़्तर की फ़ाइल

चिढ़ाती दफ़्तर की फ़ाइल
गायब है चेहरे से घर से आई वो स्माइल!

लंच टिफिन में आया लेकिन स्वाद किचिन में छूटा
बिन पानी के टीस रहा मेरे गमले का बूटा
ब्लेजर में घुटती जाती है सकुचाती सी चुन्नी
देख घड़ी हाथों में अब तो कंगन काटे कन्नी

चार दफ़ा; दो पल में समय दिखाता मोबाइल!

दिन ढल जाए कंप्यूटर पर करते-करते करतब
एक्सेल, वर्ड धरम है; अब तो डाटा अपना मज़हब
पिछली मीटिंग से छूटे; करनी है अगली मीटिंग
समय बचाते हैं करके हम संबंधों से चीटिंग

ज्यों मिट्टी से नज़र चुराए ऑफिस की टाइल!

सुबह चले, फिर साथ हमारे लौटे सूरज थककर
खुशियां सिमट गई हैं अपनी संडे, सैटरडे पर
शाम, सुबह देखी है, देख न पाए हम दोपहरी
ईएल, सीएल, एचपीएल पर अपनी दुनिया ठहरी

अंतिम हफ़्ते से वेतन की दूरी सौ माइल!

©मनीषा शुक्ला

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