ऐसे में पूजा का प्रतिफल मिल पाए, कहना मुश्किल है
शीशमहल के दीपक हो तुम,तेज़ हवा का भय क्या जानो
प्रेम नहीं पाया जीवन में, पीड़ा का आशय क्या जानो
चरणों ने बस फूल छुए हैं, कांटो का परिचय क्या जानो
सूरज पाल रखे हैं तुमने, जुगनू का संशय क्या जानो
माना तुम ईश्वर हो, सुनते रहते हो सबकी फरियादें
पत्थर की आंखों से लेकिन आँसू का बहना मुश्किल है
प्रेम नहीं पाया जीवन में, पीड़ा का आशय क्या जानो
चरणों ने बस फूल छुए हैं, कांटो का परिचय क्या जानो
सूरज पाल रखे हैं तुमने, जुगनू का संशय क्या जानो
माना तुम ईश्वर हो, सुनते रहते हो सबकी फरियादें
पत्थर की आंखों से लेकिन आँसू का बहना मुश्किल है
जिसके दरवाज़े पर पहरों अक्षत, मन्त्र लगाएं फेरी
पीड़ा को सुनने में उससे हो ही जाती है कुछ देरी
जिसने अम्बर के माथे पर इंद्रधनुष की रेखा हेरी
सम्भव है उसपर भारी हो, प्राण-प्रिये आकुलता मेरी
अगर मिले अधिकार तुम्हारा, अभिलाषी हूँ वरदानों की
लेकिन इस अभिमानी मन से करुणा को सहना मुश्किल है
पीड़ा को सुनने में उससे हो ही जाती है कुछ देरी
जिसने अम्बर के माथे पर इंद्रधनुष की रेखा हेरी
सम्भव है उसपर भारी हो, प्राण-प्रिये आकुलता मेरी
अगर मिले अधिकार तुम्हारा, अभिलाषी हूँ वरदानों की
लेकिन इस अभिमानी मन से करुणा को सहना मुश्किल है
एक घरौंदा रोज़ बनाकर, उसको रोज़ उजड़ता देखो
जीवन देना कौन बड़ाई, उसको हरदिन मरता देखो
चार लकीरों से किस्मत को बनता और बिगड़ता देखो
पल-पल जीने का जुर्माना कुछ सांसों को भरता देखो
तुमने ख़ुद स्वीकार किया है, सीमित दीवारों में रहना
देव, तुम्हारी इस दुनिया में ईश्वर बन रहना मुश्किल है
जीवन देना कौन बड़ाई, उसको हरदिन मरता देखो
चार लकीरों से किस्मत को बनता और बिगड़ता देखो
पल-पल जीने का जुर्माना कुछ सांसों को भरता देखो
तुमने ख़ुद स्वीकार किया है, सीमित दीवारों में रहना
देव, तुम्हारी इस दुनिया में ईश्वर बन रहना मुश्किल है
© मनीषा शुक्ला
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