18 May 2019

मीत मेरे सच बताना!

प्रेम में कुछ गुनगुनाने की अभी संभावना है?
मीत मेरे सच बताना!

हर तरफ जब कोयलों के शव जलाए जा रहे हों
जब वचन के फूल मुर्दों पर चढ़ाए जा रहे हों
गुनगुना पाए न अल्हड़ सी नदी कोई तराना
हर लहर के होंठ पर पत्थर बिछाए जा रहे हों
क्या वही नवगीत गाने की अभी संभावना है?
मीत मेरे सच बताना!

सात जन्मों के लिए संकल्प माँगा जा रहा हो
एक क्षण से एक पूरा कल्प माँगा जा रहा हो
किस तरह कोई समर्पण से भरे सौगन्ध कोई
प्राण से जब देह का वैकल्प माँगा जा रहा हो
इस प्रणय में प्रीत पाने की अभी संभावना है?
मीत मेरे सच बताना!

अनछुई-सी इक छुअन से मन अचानक डर रहा है
देखकर तस्वीर कोई, आंख का काजल बहा है
आज पहली बार यौवन देह को भारी लगा है
रूप ने पहली दफ़ा ही आज दरपन को सहा है
क्या तुम्हें भी भूल जाने की अभी संभावना है?
मीत मेरे सच बताना!

© मनीषा शुक्ला

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