12 Nov 2019
'गीत' रक्खा नाम आँसू का!
हर तरफ़, हर आँख क्यों नम है;
गिर गया क्या दाम आँसू का?
चांदनी की चांद से अनबन हुई
या कि रूठा है समंदर ज्वार से
धर्म त्यागा है समर्पण ने अगर
हो गई क्या चूक कुछ अधिकार से
भावनाएँ अब अहिल्या हैं
क्या करेंगे राम आँसू का?
एक ख़ालीपन कलेजे में भरा
रीतता ही जो नहीं संसार से
छीनना जिसने नहीं सीखा यहाँ
पा सका है कब किसी को प्यार से?
पत्थरों के गाँव में घर हो
तब भला क्या काम आँसू का?
पीर ने देकर क़लम हमसे कहा
ओस लिखनी है तुम्हें, अंगार से
किस तरह थे प्राण रक्खे चोट पर
बाँचनी है ये कथा विस्तार से
राम जाने क्यों विधाता ने
'गीत' रक्खा नाम आँसू का!
©मनीषा शुक्ला
Labels:
Hindi,
Hindi Kavita,
Kavita,
Language,
Love,
Lyrical Poetry,
Manisha Shukla,
poetessmanisha,
Poetry,
Poetry (Geet),
Poets,
Sad Poetry,
Writers,
Writing Skills,
गीत
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment