8 Apr 2018

हमको देख के तुम मुस्काए थे

आशाओं के सागर से बस ख़ाली सीप उठाए थे
हम तो जीते-जीते, जीवन जीने से उकताए थे
उस पल जाना, इक पल मरना फिर जी जाना कैसा है
जाते-जाते मुड़कर हमको देख के तुम मुस्काए थे

©मनीषा शुक्ला

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