26 Nov 2020

हर किसी से मिला नहीं कीजे



हादसा, सिलसिला नहीं कीजे
हर किसी से मिला नहीं कीजे

ज़ात बदली है रोशनी ने ही
तीरगी से गिला नहीं कीजे

जिस तरफ़ पैर के निशान नहीं
उस तरफ़ क़ाफ़िला नहीं कीजे

सिर्फ़ अंजाम है बिखरने का
फूल बनकर खिला नहीं कीजे

©मनीषा शुक्ला

No comments:

Post a Comment