MANISHA SHUKLA
9 Mar 2021
किसी के भी नहीं होते
किसी से भी बिछड़कर हम कभी भी क्यों नहीं रोते
घड़ी भर ख़्वाब को भरकर नज़र में क्यों नहीं सोते
अजब उलझी पहेली हैं, अधूरे हैं न पूरे हम
सभी को चाहते हैं पर किसी के भी नहीं होते
©मनीषा शुक्ला
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