अगर मिली है नज़र खुदा से, इधर भी देखें उधर भी देखें
यक़ीन रखिए हमीं मिलेंगे, नज़र की हद तक जिधर भी देखें
अभी नहीं है हरी तबीयत, अभी न दिल को सुकून हासिल
हमें हुई तो है दीद उनकी, दवा मिली, अब असर भी देखें
ज़रा हटाया नक़ाब रुख़ से, कि आज बदले मिज़ाज सबके
तमाम बिखरी हैं सुर्खियां पर, जो ख़ास थी वो ख़बर भी देखें
हमें वफ़ा थी शरीक-ए-आदत, मग़र ख़ुदा की हुई इनायत
ये ऐब क़ाबू हुआ हमारा, ज़रा तुम्हारा हुनर भी देखें
किसी नज़र में नहा के ख़ुश्बू, फिरे चमन में बहार बनके
महक रहें हैं सभी नज़ारे, ज़रा महकती नज़र भी देखें
© मनीषा शुक्ला
No comments:
Post a Comment