8 Oct 2017

चाँद

आज हमारा चाँद देखने, आंगन उतरा चाँद
क्या बतलाएं कितना टूटा, कितना बिखरा चाँद 
 
वही अदाएं, वही जवानी, उतना ही शफ्फाक
मुझसे मेरा चाँद चुराके, कितना निखरा चाँद 
 
मेरे चंदा से महफ़िल में चांद लगे थे चार
इतनी सी थी बात, इसी पे, कितना उखड़ा चाँद 
 
आज रात से या कि चांदनी से थी कुछ अनबन
आज लगा है कितना भूला, कितना बिसरा चाँद 
 
जैसे छोटा बच्चा मांगे मां से कोई खिलौना
मिली रात पूनम की जब तो, कितना पसरा चांद

© मनीषा शुक्ला

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