MANISHA SHUKLA
13 Dec 2017
आँखें
हमको हमसे मिलवाने में हर इक दरपन टूटा है
केवल दो आँखें सच्ची हैं, बाक़ी सबकुछ झूठा है
© मनीषा शुक्ला
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment