3 Jan 2018

चाय

किसी मदहोश सुबह को अगर शब याद आ जाए
ठिठकती धूप का मौसम उसी के बाद आ जाए
कभी लब पे ठहर जाए अगर वो नाम इक पल को
हमारी चाय में घुलकर उसी का स्वाद आ जाए

©मनीषा शुक्ला

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