21 May 2018

तुम्हें पढ़कर, तुम्हारे लफ़्ज़ पीना चाहती हूँ मैं

सुनो, मरना ज़रूरी है तो जीना चाहती हूँ मैं
मुहब्बत में वो सावन का महीना चाहती हूँ मैं
लिखो तो इक दफ़ा दो बून्द मेरी प्यास काग़ज़ पर
तुम्हें पढ़कर, तुम्हारे लफ़्ज़ पीना चाहती हूँ मैं


©मनीषा शुक्ला

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