29 Apr 2020

इरफ़ान खान (Irfan Khan)


जाने क्यों मुझे बाँहें फैलाए, 20 लोगों के साथ किसी चिंघाड़ते गीत पर नृत्य करता हीरो, कभी हीरो नहीं लगा। जाने क्यों संवेदनाओं को पर्दे पर उतारने के लिए अपने चेहरे की भंगिमाओं से ज़्यादा अपने कपड़ों, बालों और अपनी बॉडी पर काम करने वाले लोग, मुझे कलाकार कम और स्टार अधिक लगे। ऐसे लोगों के व्यक्तित्व से तो आप प्रभावित हो सकते हैं, पर उनके काम से नहीं।

दरअस्ल, मुझे हर वो घटना सामान्य नहीं लगती जो मेरे जीवन में नहीं घटित हो सकती। ऐसे में मैं सचमुच किसी की स्लैम बुक भरते हुए 'फेवरिट हीरो' वाला कॉलम ख़ाली छोड़ देती थी या फिर वहाँ अपने पिता का नाम लिख देती थी।

ख़ैर, साल 2012 में एक फ़िल्म देखी "पान सिंह तोमर"। फ़िल्म में मुख्य यानि कि 'पानसिंह तोमर' का क़िरदार निभाया था 'इरफ़ान खान' ने। मुझे बाद में पता चला कि ये फ़िल्म एक सच्ची घटना पर आधारित थी मग़र फ़िल्म देखते वक़्त मैं पूरी तरह कन्वेंस हो चुकी थी कि मैं एक सच्ची कहानी देख रही हूँ। एक ग़रीब सिपाही जिसने कभी भरपेट भोजन न किया हो, देश के लिए गोल्ड मेडल लाने के लिए मेहनत करता है, सिर्फ़ इसलिए क्योंकि उसे बताया जाता है कि सेना में खिलाड़ियों की डाइट पर कोई रोक नहीं होती। प्रैक्टिस के दौरान उसके चेहरे पर गोल्ड मेडल की चमक तो नहीं, लेकिन प्रैक्टिस के बाद दूध और अंडे पाने की ख़ुशी साफ़ देखी मैंने। उस क़िरदार के साथ-साथ मैंने भी ये महसूस किया कि एक आदमी जिसने कभी देश की सुरक्षा के लिए हाथ में बन्दूक थामी हो, जब देश की व्यवस्था के विरुद्ध लड़ने के लिए बन्दूक उठता है, तो उसके हाथ काँपते हैं। उसे समय लगता है ख़ुद को ये समझाने में कि बहरों को नींद से जगाने के लिए आरती नहीं गाई जाती, तांडव किया जाता है। 

बहरहाल, इस फ़िल्म ने मुझे इरफ़ान का प्रशंसक बना दिया और फेवरिट एक्टर वाले कॉलम को भी भर दिया। उसके बाद लंचबॉक्स, पीकू, तलवार, मदारी, हिंदी मीडियम, कारवाँ... और तक़रीबन हर वो फ़िल्म जिसमें इरफ़ान होते थे, मैं देर-सवेर ज़रूर देखती थी। 2018 में इरफ़ान की बीमारी की ख़बर सुनी। उन्हें ये भी कहते सुना कि 'शायद अब बच नहीं पाऊंगा'...। मग़र मुझे एक भ्रम था कि पैसे वाले लोगों की बड़ी-छोटी हर बीमारी विदेश में इलाज करा कर ठीक हो जाती है। आज वो भ्रम टूट गया।

उनकी 2020 की रीलीज़ फ़िल्म "अंग्रेज़ी मीडियम" अभी देखी भी नहीं थी कि आज ख़बर मिली कि इरफ़ान खान नहीं रहे । फेवरिट एक्टर वाला कॉलम फिर से ख़ाली हो गया.....!

विदा...RIP

©मनीषा शुक्ला

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