13 Aug 2018

भगवान नहीं है

इक जीवन है, दो नैना है, आंसू चार मग़र दुःख इतने
कितना गाएँ, कितना रोएँ, कुछ भी तो अनुमान नहीं है

जितनी दूर चले आए हम, उतनी दूर अभी जाना है
फिर पीड़ा का आमंत्रण है, फिर से अधरों को गाना है
नैनों का कर्तव्य यही है, रोते-रोते मुस्काना है
चाहे सौ टुकड़े हो जाए, दरपन को सच दिखलाना है
विपदाओं से लग्न मिला है, कष्ट हुए संबंधी अपने
दुःख से जन्मों का नाता है, सुख से कुछ पहचान नहीं है

बिखरे पन्ने, कोरी स्याही, इतना सा इतिहास हमारा
उस अम्बर के सूरज, हम ही इस धरती का टूटा तारा
गीत हमारे गाकर कलकल होती है नदिया की धारा
इक दिन हमसे मिलकर रोया, तबसे है ये सागर खारा
हम आंसू का परिचय, हम ही वंश बढ़ाते हैं पीड़ा का
इस दुनिया में हम जैसों का कोई भी उपमान नहीं है

हम धरती पर आए जग में कुछ पापों का भार घटाने
यौवन के कुछ गीत सुनाकर बदनामी में नाम कमाने
हम आए सूखे चंदन में नम आंखों का अर्क मिलाने
हम आए हैं जीवन रेखा से थोड़ा दुर्भाग्य चुराने
हमने बस अभिशाप उठाएं, वरदानों के दरवाज़े से
जान चुके हम इस धरती पर सबकुछ है, भगवान नहीं है

© मनीषा शुक्ला

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