वीरों की गाथा गाती हूँ
कर कंठ स्वरा चन्दन-चन्दन, जय भारत माता गाती हूँ
आकार मिला चाहे मध्यम
व्यवहार रहा सबसे उत्तम
अरबों की इस आबादी का
बस एक तिरंगा है परचम
केसर की क्यारी से लेकर
केरल के धानी आँचल तक
गुजराती गरबा से लेकर
अरुणारे उस अरुणाचल तक
जन-गण-मन अधिनायक जय हो, हे भाग्य विधाता गाती हूँ
© मनीषा शुक्ला
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