22 Sept 2018

सीढ़ियों पर वासनाएं, प्रार्थना बन आ रही हैं

सीढ़ियों पर वासनाएं, प्रार्थना बन आ रही हैं
मंदिरों में आज फिर से देवता कोई मरेगा

मन्थरा की जीभ फिर से एक नूतन स्वांग देगी
आज ममता स्वार्थ की हर देहरी को लांघ देगी
एक राजा की, पिता पर आज फिर से जीत होगी
कामनाएं, सूलियों पर नेह के शव टांग देगी
आज कुल वरदान का फिर से नपुंसक हो गया है
कैकई का मन किसी के प्राण लेकर ही भरेगा

पांडवों ने आज फिर से द्यूत का निर्णय किया है
वीरता ने आज फिर छल-दम्भ का परिचय दिया है
नीतियां सब लोभ का टीका लगाए घूमती हैं
हो अनैतिक पूर्वजों ने, मौन का आश्रय लिया है
आज अधनंगी हुई है फिर कहीं कोई विवशता
फिर कहीं कोई दुःशासन चीर कृष्णा की हरेगा

फिर कहीं दाक्षायणी ने चुन लिया है भाग्य, ईश्वर!
दक्ष ने फिर प्रण लिया है, शिव-रहित होगा स्वयंवर
प्रेम की वरमाल तनपर आज फिर धरती गहेगी
त्याग कर कैलाश को फिर आ गए हैं आज शंकर
आज श्रद्धा से हुई है यज्ञ में फिर चूक कोई
हो न हो, फिर आज कोई शिव कहीं तांडव करेगा

© मनीषा शुक्ला

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