MANISHA SHUKLA
11 Dec 2018
कैसा है
अब मौजों से दूर समंदर कैसा है
बाहर छोड़ो, अंदर-अंदर कैसा है
माना तुमने सारी दुनिया जीती है
हमसे हारो, देखो मंज़र कैसा है!
© मनीषा शुक्ला
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