
महकते लोग थे हरसू वो ख़ुश्बू का ज़माना था
ज़ुबाँ से इश्क़ होता था वो उर्दू का ज़माना था
लबों से शोखियाँ ग़ायब दिलों पर लाख पहरे हों
निगाहें बात करती थीं वो जादू का ज़माना था
© मनीषा शुक्ला
ज़ुबाँ से इश्क़ होता था वो उर्दू का ज़माना था
लबों से शोखियाँ ग़ायब दिलों पर लाख पहरे हों
निगाहें बात करती थीं वो जादू का ज़माना था
© मनीषा शुक्ला
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