2 Dec 2018

ज़ुबाँ से इश्क़ होता था वो उर्दू का ज़माना था



महकते लोग थे हरसू वो ख़ुश्बू का ज़माना था
ज़ुबाँ से इश्क़ होता था वो उर्दू का ज़माना था
लबों से शोखियाँ ग़ायब दिलों पर लाख पहरे हों
निगाहें बात करती थीं वो जादू का ज़माना था

© मनीषा शुक्ला

No comments:

Post a Comment