24 Mar 2018

दोस्ती

छूकर पटरी रेल अचानक छुक-छुक करती गुज़र गई
लम्हा-लम्हा सोच रहा है, किस रस्ते पर उमर गई?
आज बिछड़ कर इक-दूजे से, दोनों पर कुछ यूं बीती
मिलकर सपनें देख रही दो आंखें जैसे बिछड़ गईं

©मनीषा शुक्ला

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