20 Jan 2019

चिराग़ों की ज़मानत

हमें सूरज उगाने हैं, मिटा कर रात जाएंगे
ज़ुबा कट जाएगी लेकिन बता कर बात जाएंगे
अंधेरों के शहर में हम चिराग़ों की ज़मानत हैं
तुम्हीं बोलो, भला कैसे हवा के साथ जाएंगे

©मनीषा शुक्ला

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