24 Jan 2019

मुहब्बत

कहीं गुमनाम हो कर एक दरिया,
समंदर में उतरना चाहता है
ज़मी के जिस्म पर हर एक बादल,
बन के क़तरा, बिखरना चाहता है
कली पर दिल लुटाना चाहता है,
मुहब्बत के नशे में चूर भँवरा
मुहब्बत का असर है, ख़्वाब प्यासा,
नज़र में डूब मरना चाहता है

©मनीषा शुक्ला

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