21 Jan 2019

रोज़ लिखते हैं उसे

रोज़ काग़ज़ पे वही ज़ख़्म हरा करते हैं
रोज़ लिखते हैं उसे, रोज़ पढ़ा करते हैं

©मनीषा शुक्ला

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