22 Jan 2019

गीत गाना है ज़रूरी!

राजपथ पर सिसकियों के शव सजाना है ज़रूरी
गीत गाना है ज़रूरी!

भूख के आगे परोसे जब दिलासे देखती हूँ
देश के यौवन भ्रमित, बचपन रुआँसे देखती हूँ
रोज़ टुकड़े देखती हूँ न्याय के, न्यायालयों में
सीलती हर आँख में कुछ ख़्वाब प्यासे देखती हूँ
एक चिंगारी कहीं से ढूंढ़ लाना है ज़रूरी
गीत गाना है ज़रूरी!

देवता को भी यहाँ पर घर मिलेगा, तय हुआ है
बेटियाँ बाहर न घूमेंगी, यही निर्णय हुआ है
जानवर को मारना अपराध, मारो आदमी को
आज जाकर देश के गणतंत्र से परिचय हुआ है
सो रही इस भीड़ को फिर से जगाना है
ज़रूरी गीत गाना है ज़रूरी!

चूड़ियों को बेचकर राशन ख़रीदा जा रहा है
हर विवेकानंद क़िस्मत की दिहाड़ी पा रहा है
राजशाही में बहुत से दोष थे, बस इसलिए ही
लूटने को देश, अब जनतंत्र सीधा आ रहा है
मैं क़लम हूँ, सो समय पर चेत जाना है
ज़रूरी गीत गाना है ज़रूरी!

© मनीषा शुक्ला

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